बाल दिवस पर हम सब इन तारों से मिले, जिनके पास थी
इच्छाशक्ति और मुझे लगता है यह सबसे बड़ी ताकत है किसी व्यक्ति विशेष के लिए, इन बच्चो ने हमसे बातें की, हमें भजन सुनाये, फिल्मी कलाकारों की नक़ल की जो बहुत ही आनंद देने वाली थी। एक बच्चे से मैंने पूछा तो उसने बताया की मई की छुट्टी में नानी के यहाँ टीवी पर फ़िल्म देखकर ही इतना सबकुछ याद हो गया,
काश सारा देश नेत्रहीन होता तो आज हम सब बलिदान त्याग और अपना हक याद रख पाते।
are bhai jaan fir wahi ummeed
ReplyDeletejo shayad poori ho hi jaayegi kabhi
dekho kar to sakte hain hum......
ReplyDeleteJAI HIND - "abhinav saraswat"