"पुलिस का कोई ऑफिसर हमसे पूछ रहा था कि और कहाँ कहाँ बम फोड़ने का प्लान है? कौन से आतंकवादी संगठन से जुड़े हो?तो कोई पूछ रहा था कि इससे पहले कहाँ कहाँ बम फोडे है। अफजल को फांसी दिलाने का सारा सपना चूर-चूर होता दीख रहा था....."
आज सुबह उठकर जब आमतौर पर अपने लैपटॉप को खोला तो पहले मन किया की आज जनोक्ति के लेखों को पढ़ लिया जाए। पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारन में अपना ब्लॉग ही Update नहीं कर पाया।
तो सबसे पहले जो लेख मिला, उसे पढ़कर दिल गदगद हो उठा, तो लगा आज एक और मोती जनोक्ति की सीप से बाहर निकला है। व्यंग और देशभक्ति से परिपूर्ण एक लेख जो चाहता हूँ आप ख़ुद ही पढ़े और करें की किस प्रकार लेखक "नविन त्यागी" ने अपने भाव प्रकट किए हैं।
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अभिनव सारस्वत
mannu bhai its grt one
ReplyDeletesahi mein yaar yahi haalat hai aaj ki to
haha...
ReplyDeletelekin concept solid tha Rahul