भुबनेश्वर-दिल्ली एक्सप्रेस को रोकना एक साहसपूर्ण कदम हैं पश्चिम बंगाल के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के द्वारा, अगर संविधान की दृष्टि से देखा जाए तो साफ़ तौर पर यह एक वर्ग विशेष की देश की सरकार के विरूद्व चेतावनी है।
आज हम केवल आतंकवाद से ही नहीं अपितु प्रत्येक राज्य में भिन्न भिन्न समस्यों से ग्रसित हैं, चाहे वह माओवादी, नक्सली, कश्मीरी आतंकवाद, उत्तर प्रदेश का माफियाराज, हो या बिहार के अपहरण, हिन्दी भाषी व अन्य भाषाओ का भेद है, दक्षिण भारतीय लोगों का भारत न लिखकर South India लिखना, पश्चिम बंगाल से गोरखालैंड की मांग आदि... आख़िर एक हिन्दुस्तानी चाहता क्या है...
अभिनव सारस्वत
really true!!! 100% agree with you!!
ReplyDeletekeep it up :)
मैं केवल एक ही बात कहना चाहूँगा, कि 'साहसपूर्ण कदम' के स्थान पर आपको 'दुस्साहसपूर्ण' का प्रयोग करना चाहिए था. असामाजिक तत्वों द्वारा किये गए कार्यों को साहसपूर्ण कहना उचित नहीं होता है.
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