Wednesday, September 30, 2009

Jai ho @ Commonwealth...

















Date: 30-sep-09 | Place: South Ex.II, Ring Road
We are ready for commonwealth games- "भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स, एक बेटी की शादी की तरह हैं, लेकिन मान्यवर मंत्री जी को इस बात का ख्याल रखना चाहिए की बेटी की शादी में पैसा बाप का खर्च होता है, न की आम जनता का, ये पैसा किसी के बाप का नहीं है और इस पैसे का हिसाब किताब उन्हें जनता को देना होगा की यह पैसा कहाँ किस प्रकार खर्च किया गया। - "विनोद दुआ" वरिष्ठ पत्रकार
कहीं वह महंगी गाड़ियों, कीमती शेरवानी, जेड श्रेणी सुरक्षा, पाँच सितारा होटलों, व्यावसायिक श्रेणी की हवाई यात्रा में तो खर्च किया नहीं जा रहा है।

Sunday, September 27, 2009

burger vs roti















यहाँ
इस देश में एक आदमी कुछ कर सके या कर सके लेकिन - बच्चे जरूर पैदा कर सकता है... काश इस विषय पर कभी गंभीरता से सोचा होता तो ये भूख आज चाँद हिन्दुस्तानियों को दोनों हाथ फैलाने पर मजबूर करतीअब दिल्ली, मुंबई में दानी और महान आत्माओं की कमी तो है नहींलेकिन देश के अन्य हिस्से जहाँ आम आदमी, किसान, गरीब वर्ग, भूख से आत्महत्या कर रहा है, या अपनी लड़की को बेचकर कर्ज या अन्य परिवारजनों की भूख मिटा रहा है, काश वहां भी कोई मसीहा होता जो अन्न की इस जरूरत को मिटा पाता लगता है कोई तरीका नहीं, कोई इलाज नहीं है इस बिमारी का... बस २ वक्त की रोटी,
२ वक्त की रोटी... जरूरत है।

Friday, September 25, 2009

Everyone is Hero...

जब एक सभ्य समाज का पढ़ा लिखा इंसान ऐसा उदाहरण देगा, तो आप गरीब वर्ग व अनपढ़ समाज से कैसे विकास, देशहित और सौहार्दपूर्ण व्यवहार की उम्मीद कर सकते हैं। अभी तो यह तबका दो वक्त की रोटी के लिए लड़ रहा है, ये कैसे समझ पायेगा सड़क पर चलने के नियम, तौर-तरीकों, सम्मान। एक बड़े स्तर पर देश नैतिक पतन की और बढ़ चुका है। सहारा बनिए अपने समाज का.....

stop Indians stop...

यहाँ बिना रोक-टोक या लाठीचार्ज के बिना कोई बात आम आदमी के दिमाग तक नहीं पहुचती। बस एक मौका मिल जाए, कहीं भी यू-टर्न, कहीं ब्रेक, जेब्रा क्रॉसिंग से आगे वहां खड़े करना, रेड लाइट पर भागना। ये आज के हिन्दुस्तानी, आम आदमी, सभ्य तबके के लोगों, भद्रजनों, कारपोरेट जगत के बिजनेस (tycoons) के लक्षण है।

Thursday, September 17, 2009

हाल ऐ पत्रकारिता...

आजकल पत्रकारिता एक भद्दे मजाक से बढकर और कुछ नहीं है, टीआरपी का खेल आज के पत्रकारों को अनार्थी शब्दों का इस्तेमाल करने तथा सस्ते मनोरंजन को परोसने में खासी मदद कर रहा है।

मांग और पूर्ति के इस दौर में घटिया पत्रकारिता को भी तरजीह मिली है और कुछ news channel इसे भुनाने में लगे हैं। क्या कभी सोचा था, एक जमाने के प्रसिद्ध टीवी शो 'आप की अदालत' के मेजबान रजत शर्मा इस प्रकार की पत्रकारिता को बढ़ावा देंगे।

एक बच्ची जिसे रेल से गिरने के बाद अपने पिता का नाम तक याद नहीं है, समाचार के अनुसार उसे उसकी माँ उस बच्ची को रेल से फ़ेंक कर चली गई थी, क्या इस समाचार को परोसने का कोई और तरीका नहीं था, "मम्मी मम्मी मौत वाली मम्मी" अभी तक उसकी माता या पिता का कोई अता-पता नहीं है शायद मुद्दा कुछ और ही हो। लेकिन दूसरी और उससे एक पत्रकार अनगिनत सवाल पूछता जाता है, कहाँ है वह डॉक्टर तथा पुलिस प्रशासन जो एक बच्ची की मानसिक स्तिथी को न समझते हुए एक गरम समाचार ढूढने वाले के हाथों में उसे थमा देते है। शायद यह वही लोग है जिन्हें तनख्वाह अथवा कोटे की चिंता ज्यादा है, ऊपर से नीचे तक सभी का स्तर एक सा है।

एक वक्त में कहा जाता था, की मीडिया तथा समाचार पत्र एक सभ्य समाज का आएना होता है, लेकिन आज एक भद्दे मजाक से बढ़कर कुछ नहीं है। हमें अपने स्तर को बढ़ाना होगा अन्यथा हम अपने आने वाली पीढी को जवाब नहीं दे पायेंगे की हमने अपने समाज देश के लिए क्या किया। सफाई अपने घर से ही शुरू करनी होगी, और इस जलती हुई मशाल को भुझने न देने की प्रतिज्ञा लेनी होगी।

अभिनव सारस्वत

Saturday, September 12, 2009

life at own risk...


Rainy season and this bus don't have wiper at drivers side, but there is no other option for an Indian.....

Friday, September 11, 2009

Monday, September 7, 2009

what the hell ! - Bomb











Different views

I think (Delhi)- Its a definitely bomb. broooomm

Divyendu Pratap says (Noida)- Someone left his bag.

Jack gaur (Gurgaon) says - This is just a garbage bag.

Amit (Hyderabad) says - A poor man left his bag.

Alok Rawat (Okhla, Delhi) - Working style of MCD department.

yeeeaaah Alok Rawat is right.

Bomb-proof dustbins in Delhi for 2010 Games? - what do you people think? please do comments

Wednesday, September 2, 2009

rikshaw wala











अपना रिक्शा चमकाने के लिए, अपने शहर का फुटपाथ गन्दा कर लिया मिलिए इनसे यह भारतीय हैं और इनकी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है तथा संस्कार और इंसानियत से भरपूर है। जय हिंद जय भारत।

These rickshaw drivers are cleaning and coloring the rickshaws, but they didn't noticed what he did, MCD spend a lots of money for cleaning footpath, roads, kachras...........

Tuesday, September 1, 2009