Monday, December 20, 2010

कांग्रेस धर्म की राजनीति करती है : विकिलीक्स


विकिलीक्स पर जारी अमेरिका के एक गोपनीय दस्तावेज में अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री ए. आर. अंतुले के विवादास्पद बयान का हवाला देते हुए कहा गया है कि मुंबई हमले के बाद कांग्रेस पार्टी का एक वर्ग, धर्म पर आधारित राजनीति करते नजर आया था । 

यह दस्तावेज 23 दिसंबर, 2008 को नई दिल्ली में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत डेविड मलफोर्ड ने अपने देश के विदेश विभाग को भेजा था। इस दस्तावेज में मलफोर्ड ने कहा, ' अंतुले के बयान से खुद को अलग करने के दो दिन बाद ही कांग्रेस ने एक विवादास्पद बयान जारी किया, जिससे साजिश के बारे में संदेह को बल मिला। उस समय अंतुले के पूरी तरह से बेबुनियाद दावों को भारतीय मुस्लिम समाज से भी समर्थन मिला। ' 

मलफोर्ड ने लिखा है कि, ' आगामी चुनावों में लाभ उठाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अंतुले के बयान को खारिज करने के अपने रुख से पल्ला झाड़ लिया और खुद इस साजिश को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए। ' 

विकीलीक्स पर जारी दस्तावेज के मुताबिक अमेरिकी राजदूत ने कहा, ' गृह मंत्री पी. चिदंबरम की ओर से अंतुले की टिप्पणियों को खारिज कर दिए जाने के बावजूद भारतीय मुसलमानों की यह राय बनी रहेगी कि वे सुरक्षा एजेंसियों के जरिए निशाना बनाए जा रहे हैं। ' 

मलफोर्ड ने कहा, 'पूरे घटनाक्रम से यह पता चला है कि अगर कांग्रेस को लगे कि जाति और धर्म आधारित राजनीति उसके हित में हैं तो वह पूरी तैयारी के साथ इस ओर जाएगी।' 

विकीलीक्स का दावा है कि उसके ओर से जारी किए गए लगभग ढाई लाख दस्तावेजों में तकरीबन 1300 दस्तावेज नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के हैं। इस दस्तावेज में अमेरिकी राजदूत ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी की ओर से पहले कहा गया था कि हेमंत करकरे सहित मुंबई पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों का मारा जाना एक इत्तेफाक है। अंतुले की टिप्पणियों के संदर्भ में दिया गया यह बयान सही था। परंतु मुस्लिम समुदाय में अंतुले के दावों को समर्थन मिलता देख कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को इसका फायदा उठाने की बात सूझ गई।' 

मलफोर्ड के मुताबिक, 'राज्यों के विधानसभा चुनावों में उत्साहजनक जीत मिलने के बावजूद कांग्रेस ने मुंबई हमले की साजिश पर संदेह खड़ा करके एक स्वार्थी सियासी समीकरण की ओर कदम बढ़ाया।' 

इस दस्तावेज में कहा गया है कि अंतुले ने 17 दिसंबर, 2008 को दिए गए अपने बयान से एक राजनीतिक विवाद खड़ा किया। अंतुले ने कहा था कि आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख करकरे की हत्या मालेगांव विस्फोट की जांच से जुड़ी लगती है। उल्लेखनीय है कि मालेगांव विस्फोट मामले में कुछ कट्टरपंथी हिंदू संगठनों पर संदेह है।
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Wednesday, December 15, 2010

वीर क्रांतिकारियों को नमन ...


बलिदान दिवस के अवसर पर India - Behind The Lens की ओर से की गयी पहल के दौरान खुर्जा (जिला- बुलंदशहर) के सरकारी विद्यालय के छोटे छोटे बच्चो को आसान शब्दों के माध्यम से शहीद बिस्मिल,असफाक उल्ला खान,ठाकुर रोशन सिंह, और राजेंद्र लहरी के बलिदान की कथा और उनके बलिदान के महत्व को समझाते India - Behind The Lens के चेतन शर्मा, अनुराग, दिव्येंदु प्रताप सिंह |

Friday, December 10, 2010

शहीदों का सम्मान करो !!

सरकार का कैप्टन कोहली की मौत की फिर जांच से इनकार :

18 राष्ट्रीय रायफल्स के कैप्टन सुमित कोहली की रहस्यमय हालत में हुई मृत्यु पर फिर जांच से सरकार ने मना कर दिया | 30 अप्रैल 2006 को कैप्टन कोहली की गोली लगी लाश, उनके कमरे (आर्मी बैरक) में मिली थी | कोहली को मृत्यु से मात्र दो महीने पहले ही देश का तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार शौर्य चक्र मिला था | कोहली की माँ ने सेना पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा है की सुमित ने आत्महत्या नहीं की थी, उसका क़त्ल हुआ है | आगे कैप्टन की माँ कहती है की "सुमित सेना में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर बहुत ज्यादा डिप्रेशन में था और बार बार मुझ से कहता था की माँ तुम नहीं जनती हो की सेना में कितना भ्रष्टाचार है", और ये ही राज़ सुमित की मौत का कारण बन गया | यहाँ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने की जगह कैप्टन कोहली की मौत पर दोबारा जांच को ही मना कर दिया गया | कैप्टन कोहली की बहन ने कहा है की पहले जांच का भरोसा देने के बाद आज रक्षा मंत्री एंटनी, लोकसभा में सुमित की कोहली की मौत की जांच की बात को सिरे से नकार गए, जो ये दर्शाता है की कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है जिसे रक्षा मंत्री और अन्य लोग छिपा रहे है | हमें समझ नहीं आता की कब तक ऐसे वीर पूत जो सेना में भर्ती होते है और लड़ते है अपने देश के लिए अपनी जान की परवाह किये बगैर तो क्यों उनको सम्मान नहीं दिया जाता है | ऐसा क्या इतना बड़ा राज़ था की जिसे सामने लाने से रक्षा मंत्री भी डर रहे है ? सेना से जुड़े कुछ लोग दबी जबान में ये भी मानते है कारगिल युद्ध में कुछ भारतीय सेना के अधिकारियों ने दुश्मन देश की चंद पैसों के लिए मदद कर, अपने ही जवानों की जान को खतरे में डाल दिया था, और वो कारगिल में हो रही इस घुसपैठ कर जानते थे और अपनी ही सेना को गुमराह कर रहे थे ? क्या देश के हर कोने में हो रहे भ्रष्टाचार से, अब सेना भी अछूती नहीं रही है ? क्या सेना ईमानदारी का ये ईनाम मिलता है की, जवान को उसकी मौत के बाद भी सम्मान और न्याय नहीं मिलता है ? आदर्श सोसाईटी घोटाले में भी सेना के बड़े अधिकारियों का नाम सामने आया था | सेना का इस तरह भ्रष्टाचार में शामिल पाया जाना आम जनता के लिए धक्का है, और सेना की छवि पर एक न छूटने वाला कलंक |