Sunday, August 30, 2009

spoiling everything...











इन्साफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चलके, ये देश है तुम्हारा खा जाओ इस को तल के।
एक सच्चा हिन्दुस्तानी ही अपने आस पास के वातावरण को गन्दा कर सकता है और किसी करने वाले व्यक्ति को रोकने का दम भी अब उसमे नही रहा है। अपने ही देश की संपत्ति जिसका मूल्य उसी करदाता के करों से चुकाया जाता है आज वही हिन्दुस्तानी अपनी सम्पति को नष्ट करने में लगा है, इस चित्र में एक नया उदाहरण उपलब्ध है...

चिंता मुझे तेरी नहीं है, यहाँ ढूंढो एक मिलते हजारों हैं। - एक प्रयत्नशील देशभक्त (अभिनव सारस्वत)

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