Monday, December 14, 2009

dhappa @ express way

















रात के मुसाफिर भाग संभल के, पोटली में तेरी हो आग न संभल के ।

चल तो तू पड़ा है फासला बड़ा है, जान ले अंधेरे के सर पे खून चढ़ा है ।

मकाम खो ले तू, मकान खोज ले तू, इंसान के शहर में इंसान खोज ले तू।

देख तेरी ठोकर पे राह का वोह पत्थर, माथे पे तेरे कास के लग जाए न उछल कर।

रात के मुसाफिर भाग संभल के, पोटली में तेरी हो आग संभल के

1 comment:

  1. arey bhai in kamine insano ko isi cheeg pe khundak nikalni thi.... sala ek to acchi cheeg bani thi woh bi apne jaisi kar li.. ^@#^@^#^@

    ReplyDelete