Monday, November 15, 2010

हमारे देश में ईमानदारों की क़द्र क्यों नहीं है.... ?

salutes Sanjeev Chaturvedi (Indian Forest Services) 2002 Batch for his honesty ... 11 Transfer within 4 years !!

चंडीगढ़. न तो आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ईमानदारी की अपनी आदत से बाज आ रहे हैं और न ही उनके खिलाफ लामबंद हुए लोग उनके खिलाफ कार्रवाई कराने से। अनियमितताओं का एक मामला उजागर करने पर सस्पेंड होने के बाद चतुर्वेदी को बहाल करने के लिए खुद राष्ट्रपति तक को आदेश जारी करने पड़ चुके हैं। उनका अब तक चार साल में 11 बार ट्रांसफर हो चुका है।

गलत को गलत कहने की उनकी जिद कुरुक्षेत्र से शुरू हुई, जहां 2002 बैच के इस आईएफएस अधिकारी को पहली पोस्टिंग मिली थी। वहां वाइल्डलाइफ एरिया के बीचोंबीच एक नहर निकालने के लिए सैंकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ उन्होंने हरियाणा सिंचाई विभाग के ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इसके बाद शुरू हुई असल जंग। राज्य के तत्कालीन मुख्य वन्य जीव संरक्षक ने चतुर्वेदी की शिकायत को नकार दिया और इसके साथ ही चतुर्वेदी के तबादलों का दौर शुरू हो गया। 

मंजुनाथ ट्रस्ट से व्हिसल ब्लोअर पुरस्कार पा चुके चतुर्वेदी का जब फतेहाबाद तबादला हुआ तो यहां एक राजनेता की निजी जमीन पर सरकारी पैसे से बनने वाले हर्बल पार्क पर उनकी नजर पड़ गई। संजीव चतुर्वेदी अपनी फॉर्म में आए और उधर नेता जी ने अपनी जुगत लगाकर उन्हें सबक सिखाने की ठानी। नतीजा, चतुर्वेदी सस्पेंड कर दिए गए। फिलहाल, चतुर्वेदी हिसार में तैनात हैं। 

जिद और जुनून अभी ठंडा नहीं पड़ा है।वे केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए नोटिस के जबाव के इंतजार में हैं। ताकि यह तय किया जा सके कि स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का दावा करने वाली सरकार ईमानदारी से ड्यूटी देने की जिद पर अड़े इस आईएफएस का साथ देती है या नहीं।

..तो भी बरकरार रही जिद 

चतुर्वेदी को जब डीएफओ झज्जर बनाया गया तो उन्होंने पौधरोपण में करोड़ों का घपला पकड़ा। एक-एक पौधे की गिनती करवा ली, नौ वन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया और 40 को बर्खास्तगी नोटिस जारी किया और शाम को घर लौट कर खुद के अगले तबादले की तैयारी शुरु की |

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