Monday, December 28, 2009
Friday, December 25, 2009
Thursday, December 24, 2009
dhappa @ Google
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Link to NEXUS SLIDESHOW Enjoy
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Exclusive: first Google Phone / Nexus One photos, Android 2.1 on-board-
Well here you have it folks, honest-to-goodness pics of the Google Phone...
AKA, the Nexus One. As you can see by the photos, the design of the device
is largely similar to those we've seen, but the graphic on back is slightly different...
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NEXUS SLIDESHOW
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Exclusive: first Google Phone / Nexus One photos, Android 2.1 on-board-
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AKA, the Nexus One. As you can see by the photos, the design of the device
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NEXUS SLIDESHOW
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Saturday, December 19, 2009
उत्तर प्रदेश अब तक | Uttar Pradesh so far
साथ देने के लिए संपर्क करें - उत्तर प्रदेश
संस्कृति, भाषा, विविध धर्मों की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश, जो आज कहीं खोया हुआ सा प्रतीत हो रहा है, आज वह चमक उस ललाट पर है नहीं जो कभी हुआ करती थी, आज तो बस राजनीति और व्यापार का खेल सा दिखता है।
वह भूमि जहाँ हिंदी भाषा, संस्कृति, विविध धर्मों ने जन्म लिया आज अपने अस्तित्व के पन्ने छांटती नजर आने लगी है, और इस फ़िराक में है की कहीं इतिहास ही वह कहानी ब्यान कर दे, जो आज भी कागजों में दफन है। माफिया, क़त्ल, पट्टेदारी, जातिवाद, चुनाव, लूटपाट ही अखबारों की सुर्खियाँ हैं। यह सब मानवता से परे ऐसी घटनाएं ही जो आज उत्तर प्रदेश का सच है, और इस सच्चाई में जन्म लेते हैं हम...
हम वह बंद कमरे हैं जो खुली हवा में सांस लेने से डरते हैं,
हम वह धुआं हैं जो पढ़ने-लिखने के लिए ९-१२ घंटे बिजली का इन्तजार करते हैं,
हम वह कोयले की राख हैं जो जलने के बाद IAS-PCS, IIT, MLNR जैसी परीक्षाएं लम्हों में गुजार देते हैं,
हम वह उड़ती धूल हैं जो Oracle, Cisco, Microsoft, Google में अपना जीवन बिता देते हैं।
हम वह हैं जो दशकों से सेना में सिपाही से लेकर जर्नल तक देश की सेवा को हाज़िर है।
चंद रोटियों के लिए नौकरी ढूढ़ने पर हमसे उम्मीद की जाती है स्तरीय शिक्षा, एवं लहजे की, कपडे पहनाने के सलीकों की, लेकिन जो कभी नहीं दिखाई देता वह है हमारा बचपन, न ही दिखा किसी को हमारा उस उम्र में स्कूल की फीस के लिए पैसे कमाना...
यहाँ एक प्रयास है मिटटी में दबी उस नस्ल का जो अपने लोगों से की गयी गलतियों को स्वीकारने को तैयार हैं, और तैयार है आने वाले समय के मिलकर चलने के लिए... धन्यवाद
साथ देने के लिए संपर्क करें - उत्तर प्रदेश
अभिनव सारस्वत
संस्कृति, भाषा, विविध धर्मों की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश, जो आज कहीं खोया हुआ सा प्रतीत हो रहा है, आज वह चमक उस ललाट पर है नहीं जो कभी हुआ करती थी, आज तो बस राजनीति और व्यापार का खेल सा दिखता है।
वह भूमि जहाँ हिंदी भाषा, संस्कृति, विविध धर्मों ने जन्म लिया आज अपने अस्तित्व के पन्ने छांटती नजर आने लगी है, और इस फ़िराक में है की कहीं इतिहास ही वह कहानी ब्यान कर दे, जो आज भी कागजों में दफन है। माफिया, क़त्ल, पट्टेदारी, जातिवाद, चुनाव, लूटपाट ही अखबारों की सुर्खियाँ हैं। यह सब मानवता से परे ऐसी घटनाएं ही जो आज उत्तर प्रदेश का सच है, और इस सच्चाई में जन्म लेते हैं हम...
हम वह बंद कमरे हैं जो खुली हवा में सांस लेने से डरते हैं,
हम वह धुआं हैं जो पढ़ने-लिखने के लिए ९-१२ घंटे बिजली का इन्तजार करते हैं,
हम वह कोयले की राख हैं जो जलने के बाद IAS-PCS, IIT, MLNR जैसी परीक्षाएं लम्हों में गुजार देते हैं,
हम वह उड़ती धूल हैं जो Oracle, Cisco, Microsoft, Google में अपना जीवन बिता देते हैं।
हम वह हैं जो दशकों से सेना में सिपाही से लेकर जर्नल तक देश की सेवा को हाज़िर है।
चंद रोटियों के लिए नौकरी ढूढ़ने पर हमसे उम्मीद की जाती है स्तरीय शिक्षा, एवं लहजे की, कपडे पहनाने के सलीकों की, लेकिन जो कभी नहीं दिखाई देता वह है हमारा बचपन, न ही दिखा किसी को हमारा उस उम्र में स्कूल की फीस के लिए पैसे कमाना...
यहाँ एक प्रयास है मिटटी में दबी उस नस्ल का जो अपने लोगों से की गयी गलतियों को स्वीकारने को तैयार हैं, और तैयार है आने वाले समय के मिलकर चलने के लिए... धन्यवाद
साथ देने के लिए संपर्क करें - उत्तर प्रदेश
अभिनव सारस्वत
Thursday, December 17, 2009
dhaapa ho gaya Parmanu...
दिल्ली के सुपर हीरो परमाणु को आज हमारी जरूरत है, न तो डोगा मुंबई सकता है, ऑर न ही नागराज आ पायेगा जो २६/११ जैसे हमलों को न होने देने की जिम्मेदारी लिए हुए है, क्या दिल्ली देखेगी तमाशा अपने सुपर हीरो का, या आगे बढ़के कदम उठाएगी...
देख परमाणु देख...
परमाणु को बचाना है...
Monday, December 14, 2009
dhappa @ express way
ऐ रात के मुसाफिर भाग न संभल के, पोटली में तेरी हो आग न संभल के ।
चल तो तू पड़ा है फासला बड़ा है, जान ले अंधेरे के सर पे खून चढ़ा है ।
मकाम खो ले तू, मकान खोज ले तू, इंसान के शहर में इंसान खोज ले तू।
देख तेरी ठोकर पे राह का वोह पत्थर, माथे पे तेरे कास के लग जाए न उछल कर।
ऐ रात के मुसाफिर भाग न संभल के, पोटली में तेरी हो आग न संभल के ।
Tuesday, December 8, 2009
karlo ganda apna ghar hai
न तुम कुछ करो न ये रिश्वत (हराम) खाने वाले महकमें कुछ करेंगे, बस ऐसे ही आगे चलना है एक दिन खत्म कर देंगे इस देश को... बहुत मजा आएगा न।
अपने बच्चे बोलेंगे पापा ऐसे गंद करते थे और मम्मा ने तो हमेशा कूड़ा कार से सडकों पर फेंका है वैसे बहुत अच्छे घर से है वह... लेकिन गंद की बात आते ही पापा मम्मा को जूनून सा आ जाता है... और आप जानते ही हो...
Monday, December 7, 2009
Saturday, December 5, 2009
Friday, December 4, 2009
Thursday, December 3, 2009
Tuesday, December 1, 2009
dhappa @ web advertising
आज के युवा ही नहीं अपितु मध्यम आयु के पुरुषों को सेक्स के प्रति लुभाने के लिए इन्टरनेट एक नया मध्यम है, सेक्स के प्रति उठने वाली यह चाह किसी भी व्यक्ति के Credit or debit Card से होकर गुजर सकती है। हमें इस प्रकार के प्रचार से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए एवं नए Internet Users एवं अवयस्कों (below 18) को इस प्रकार के प्रचारों से दूर रखे जाने के लिए कदम उठाने चाहिए। हमें स्वयं आगे आना होगा तथा अपने आस-पास के वातावरण को दूषित होने से बचाना होगा।
अभिनव सारस्वत
बीती बातें -
The Suryanelli rape case concerns a 16-year-old girl who was sexually harassed and assaulted continuously for 40 days by 42 men in 1996। The girl from Suryanelli in Idukki district of Kerala in India who was transported from place to place across Kerala. The accused, initially estimated at 42, included some well-known and well-placed individuals.
Source - Wikipedia
अभिनव सारस्वत
बीती बातें -
The Suryanelli rape case concerns a 16-year-old girl who was sexually harassed and assaulted continuously for 40 days by 42 men in 1996। The girl from Suryanelli in Idukki district of Kerala in India who was transported from place to place across Kerala. The accused, initially estimated at 42, included some well-known and well-placed individuals.
Source - Wikipedia
Monday, November 30, 2009
Friday, November 27, 2009
Wednesday, November 25, 2009
Saturday, November 21, 2009
a day with children having sixth sense...
बाल दिवस पर हम सब इन तारों से मिले, जिनके पास थी इच्छाशक्ति और मुझे लगता है यह सबसे बड़ी ताकत है किसी व्यक्ति विशेष के लिए, इन बच्चो ने हमसे बातें की, हमें भजन सुनाये, फिल्मी कलाकारों की नक़ल की जो बहुत ही आनंद देने वाली थी। एक बच्चे से मैंने पूछा तो उसने बताया की मई की छुट्टी में नानी के यहाँ टीवी पर फ़िल्म देखकर ही इतना सबकुछ याद हो गया, काश सारा देश नेत्रहीन होता तो आज हम सब बलिदान त्याग और अपना हक याद रख पाते।
Wednesday, November 11, 2009
Delhi ready for 2010 with Tobaco/ Masala
जब सड़कों पर स्टील के नए चमकते इन boards को देखा तो लगा 2010 तक तो अपने दिल्ली की किस्मत ही बदल ही जायेगी।
लेकिन ये क्या अचानक से इन boards पर पान मसाला/तम्बाकू का प्रचार देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए। कहाँ गए वह सरकारी दावे लगता सब धरे के धरे रह गए, ना तो किसी तरह का कोई कर (TAX) छोडा जा रहा है न ही किसी प्रकार का धन जो सरकारी खजाने में इस प्रकार के प्रचार से एकत्र होता है।
आज दोपहर इंडिया गेट पर अपनी आंखों से दिल्ली पुलिस को 100-100 के गांधीजी (रिश्वत) लेते देखा वैसे भी वह ब्लू लाइन बस सर्विस वालों से महिना था, जो देना ही पड़ता है, अब मैंने फोटो तो खींच लिया, पर दिल नहीं माना की धप्पा पर लगा दिया जाए। क्योंकि वह भी किसी का पिता या पति है ऑर मेरा जमीर गंवारा नहीं हुआ की मैं लगा दूँ।
अभिनव सारस्वत
Wednesday, November 4, 2009
BIGG BOSS
बिग बॉस के घर में अब तक आपने ज़िन्दगी के अनेक रंगों को देखा चाहे वह पूनम जी जैसे साफ़ और स्वछंद जीवन का उदहारण हो या तनाज़ की दिमागी कसरत, जहाँ एक और मर्दानगी की मिसाल कमाल रशीद खान के अपशब्द हो या मस्ती के मीठे पल राजू श्रीवास्तव के साथ हो।
यहाँ सभी बिग बॉस की TRP भुनाने में लगे हैं, एक और Google News, या भारत वर्ष का Media, खबरों के नाम से जाने वाले समाचार पत्र (news papers) हो या लोगों की गपशप, सभी में आजकल बिग बॉस का तड़का मिलाया जा रहा है, वहीँ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information & Broadcasting) ने बिग बॉस को आदेश जारी किये की बिग बॉस में दिखाई जाए वाली सामग्री टेलिविज़न पर प्रसारण के योग्य नहीं है अर्थात अपशब्दों का प्रयोग एवं नग्नता कानूनी नियमो का उल्लंघन करती हैं। यह एक सही कदम है जो आवश्यक है।
काश पूरा देखे जाने पर उसके सही पहलू पर गौर किया जाता, कार्यक्रम रोहित के द्वारा की गई अनदेखी को बिग बॉस ने स्वयं सुधारने का आदेश दिया और अंत में एक सामाजिक संदेश (Moral) भी सुनाया गया, जिस पर शायद बहुत कम लोगो ने गौर किया होगा - "वर्षो से मनुष्य को यह समझाने का प्रयत्न किया जा रहा है की जुबान से निकले कुछ ग़लत शब्द रात की नींद और दिन का चैन मिटा देते हैं पर मनुष्य है ऑर उसकी फितरत जो बदलती नहीं।"
अभिनव सारस्वत
Monday, November 2, 2009
इतना तो चलता है | अब करें भी तो क्या
Saturday, October 31, 2009
अफजल तो फ़िर भी बच गया.
"पुलिस का कोई ऑफिसर हमसे पूछ रहा था कि और कहाँ कहाँ बम फोड़ने का प्लान है? कौन से आतंकवादी संगठन से जुड़े हो?तो कोई पूछ रहा था कि इससे पहले कहाँ कहाँ बम फोडे है। अफजल को फांसी दिलाने का सारा सपना चूर-चूर होता दीख रहा था....."
आज सुबह उठकर जब आमतौर पर अपने लैपटॉप को खोला तो पहले मन किया की आज जनोक्ति के लेखों को पढ़ लिया जाए। पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारन में अपना ब्लॉग ही Update नहीं कर पाया।
तो सबसे पहले जो लेख मिला, उसे पढ़कर दिल गदगद हो उठा, तो लगा आज एक और मोती जनोक्ति की सीप से बाहर निकला है। व्यंग और देशभक्ति से परिपूर्ण एक लेख जो चाहता हूँ आप ख़ुद ही पढ़े और करें की किस प्रकार लेखक "नविन त्यागी" ने अपने भाव प्रकट किए हैं।
लेख - पढने के लिए क्लिक करें
अभिनव सारस्वत
आज सुबह उठकर जब आमतौर पर अपने लैपटॉप को खोला तो पहले मन किया की आज जनोक्ति के लेखों को पढ़ लिया जाए। पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारन में अपना ब्लॉग ही Update नहीं कर पाया।
तो सबसे पहले जो लेख मिला, उसे पढ़कर दिल गदगद हो उठा, तो लगा आज एक और मोती जनोक्ति की सीप से बाहर निकला है। व्यंग और देशभक्ति से परिपूर्ण एक लेख जो चाहता हूँ आप ख़ुद ही पढ़े और करें की किस प्रकार लेखक "नविन त्यागी" ने अपने भाव प्रकट किए हैं।
लेख - पढने के लिए क्लिक करें
अभिनव सारस्वत
Tuesday, October 27, 2009
Naxals block Bhubaneswar-Delhi Rajdhani Express in West Midnapore
भुबनेश्वर-दिल्ली एक्सप्रेस को रोकना एक साहसपूर्ण कदम हैं पश्चिम बंगाल के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के द्वारा, अगर संविधान की दृष्टि से देखा जाए तो साफ़ तौर पर यह एक वर्ग विशेष की देश की सरकार के विरूद्व चेतावनी है।
आज हम केवल आतंकवाद से ही नहीं अपितु प्रत्येक राज्य में भिन्न भिन्न समस्यों से ग्रसित हैं, चाहे वह माओवादी, नक्सली, कश्मीरी आतंकवाद, उत्तर प्रदेश का माफियाराज, हो या बिहार के अपहरण, हिन्दी भाषी व अन्य भाषाओ का भेद है, दक्षिण भारतीय लोगों का भारत न लिखकर South India लिखना, पश्चिम बंगाल से गोरखालैंड की मांग आदि... आख़िर एक हिन्दुस्तानी चाहता क्या है...
अभिनव सारस्वत
आज हम केवल आतंकवाद से ही नहीं अपितु प्रत्येक राज्य में भिन्न भिन्न समस्यों से ग्रसित हैं, चाहे वह माओवादी, नक्सली, कश्मीरी आतंकवाद, उत्तर प्रदेश का माफियाराज, हो या बिहार के अपहरण, हिन्दी भाषी व अन्य भाषाओ का भेद है, दक्षिण भारतीय लोगों का भारत न लिखकर South India लिखना, पश्चिम बंगाल से गोरखालैंड की मांग आदि... आख़िर एक हिन्दुस्तानी चाहता क्या है...
अभिनव सारस्वत
Thursday, October 22, 2009
National Language: Delhi Development Authority
हिंदू राष्ट्र, हिन्दी भाषी -
अब क्या कह सकते हैं इस विषय में अपना ही सिक्का खोटा है। अपनी भाषा लिखने में गलती, चलो मान भी लिया जाए की लिखने वाला शक्स अनपढ़ था, तो इसे लगाने की अनुमति देने वाले किस वक्त की तनख्वाह ले रहे थे। मौका है आपके लिए राष्ट्रीय राजधानी के तीन सर्वश्रेष्ठ भ्रष्ट विभागों में से एक से साक्षात्कार का...
अभिनव सारस्वत
Wednesday, October 21, 2009
zebra crossing
Wednesday, October 14, 2009
Wednesday, October 7, 2009
travel . transport . tax
एक अदद कॉमनवेल्थ खेलों की आवश्यकता अन्य राज्यों को भी है ताकि राज्य सरकार, केन्द्र सरकार एवं अन्तराष्ट्रीय संगठन भी मानव विकास, मानवाधिकारों के हनन और दैनिक जीवन की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर सके।
उत्तर प्रदेश स्थित कृष्ण जन्मस्थली मथुरा जहाँ पूरे भारतवर्ष से ही नहीं, अपितु पूरे विश्व से श्रद्धालुगण प्रत्येक वर्ष आते हैं और भ्रमण के लिए मथुरा शहर ही नहीं, गोकुल, बरसाना, वृन्दावन, नंदगाँव, कोकिलावन, बलदेव तथा अन्य एतिहासिक गाँव भी जाते हैं, साथ ही अन्य प्रमुख स्थल जैसे चौरासी खम्बा, रमन रेती आदि है।
मुख्य समस्याएं - सड़कों का विकास, बिजली की अनिमियतता, पंडा लोगों का मन्दिर में आमिर वर्ग को वरीयता देना, मथुरा जिले के निवासियों का आने वाले श्रधालुओं के प्रति अभद्र व्यवहार आदि है। यह भी सर्वविदित है की उत्तर प्रदेश की आय एवं व्यापार का एक बड़ा हिस्सा मथुरा जिले से आता है।
सरकार को इस समस्या के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और साथ ही ध्यान रखना होगा मथुरा के सौंदर्य एवं साधारण जीवन शैली का जो आज भी समस्त विश्व के लोगो का आकर्षण है।
अभिनव सारस्वत
Wednesday, September 30, 2009
Jai ho @ Commonwealth...
Date: 30-sep-09 | Place: South Ex.II, Ring Road
We are ready for commonwealth games- "भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स, एक बेटी की शादी की तरह हैं, लेकिन मान्यवर मंत्री जी को इस बात का ख्याल रखना चाहिए की बेटी की शादी में पैसा बाप का खर्च होता है, न की आम जनता का, ये पैसा किसी के बाप का नहीं है और इस पैसे का हिसाब किताब उन्हें जनता को देना होगा की यह पैसा कहाँ किस प्रकार खर्च किया गया। - "विनोद दुआ" वरिष्ठ पत्रकार
कहीं वह महंगी गाड़ियों, कीमती शेरवानी, जेड श्रेणी सुरक्षा, पाँच सितारा होटलों, व्यावसायिक श्रेणी की हवाई यात्रा में तो खर्च किया नहीं जा रहा है।
Sunday, September 27, 2009
burger vs roti
यहाँ इस देश में एक आदमी कुछ कर सके या न कर सके लेकिन २-६ बच्चे जरूर पैदा कर सकता है... काश इस विषय पर कभी गंभीरता से सोचा होता तो ये भूख आज चाँद हिन्दुस्तानियों को दोनों हाथ फैलाने पर मजबूर न करती। अब दिल्ली, मुंबई में दानी और महान आत्माओं की कमी तो है नहीं। लेकिन देश के अन्य हिस्से जहाँ आम आदमी, किसान, गरीब वर्ग, भूख से आत्महत्या कर रहा है, या अपनी लड़की को बेचकर कर्ज या अन्य परिवारजनों की भूख मिटा रहा है, काश वहां भी कोई मसीहा होता जो अन्न की इस जरूरत को मिटा पाता लगता है कोई तरीका नहीं, कोई इलाज नहीं है इस बिमारी का... बस २ वक्त की रोटी, २ वक्त की रोटी... जरूरत है।
Friday, September 25, 2009
Everyone is Hero...
जब एक सभ्य समाज का पढ़ा लिखा इंसान ऐसा उदाहरण देगा, तो आप गरीब वर्ग व अनपढ़ समाज से कैसे विकास, देशहित और सौहार्दपूर्ण व्यवहार की उम्मीद कर सकते हैं। अभी तो यह तबका दो वक्त की रोटी के लिए लड़ रहा है, ये कैसे समझ पायेगा सड़क पर चलने के नियम, तौर-तरीकों, सम्मान। एक बड़े स्तर पर देश नैतिक पतन की और बढ़ चुका है। सहारा बनिए अपने समाज का.....
stop Indians stop...
Thursday, September 17, 2009
हाल ऐ पत्रकारिता...
आजकल पत्रकारिता एक भद्दे मजाक से बढकर और कुछ नहीं है, टीआरपी का खेल आज के पत्रकारों को अनार्थी शब्दों का इस्तेमाल करने तथा सस्ते मनोरंजन को परोसने में खासी मदद कर रहा है।
मांग और पूर्ति के इस दौर में घटिया पत्रकारिता को भी तरजीह मिली है और कुछ news channel इसे भुनाने में लगे हैं। क्या कभी सोचा था, एक जमाने के प्रसिद्ध टीवी शो 'आप की अदालत' के मेजबान रजत शर्मा इस प्रकार की पत्रकारिता को बढ़ावा देंगे।
एक बच्ची जिसे रेल से गिरने के बाद अपने पिता का नाम तक याद नहीं है, समाचार के अनुसार उसे उसकी माँ उस बच्ची को रेल से फ़ेंक कर चली गई थी, क्या इस समाचार को परोसने का कोई और तरीका नहीं था, "मम्मी मम्मी मौत वाली मम्मी" अभी तक उसकी माता या पिता का कोई अता-पता नहीं है शायद मुद्दा कुछ और ही हो। लेकिन दूसरी और उससे एक पत्रकार अनगिनत सवाल पूछता जाता है, कहाँ है वह डॉक्टर तथा पुलिस प्रशासन जो एक बच्ची की मानसिक स्तिथी को न समझते हुए एक गरम समाचार ढूढने वाले के हाथों में उसे थमा देते है। शायद यह वही लोग है जिन्हें तनख्वाह अथवा कोटे की चिंता ज्यादा है, ऊपर से नीचे तक सभी का स्तर एक सा है।
एक वक्त में कहा जाता था, की मीडिया तथा समाचार पत्र एक सभ्य समाज का आएना होता है, लेकिन आज एक भद्दे मजाक से बढ़कर कुछ नहीं है। हमें अपने स्तर को बढ़ाना होगा अन्यथा हम अपने आने वाली पीढी को जवाब नहीं दे पायेंगे की हमने अपने समाज देश के लिए क्या किया। सफाई अपने घर से ही शुरू करनी होगी, और इस जलती हुई मशाल को भुझने न देने की प्रतिज्ञा लेनी होगी।
अभिनव सारस्वत
मांग और पूर्ति के इस दौर में घटिया पत्रकारिता को भी तरजीह मिली है और कुछ news channel इसे भुनाने में लगे हैं। क्या कभी सोचा था, एक जमाने के प्रसिद्ध टीवी शो 'आप की अदालत' के मेजबान रजत शर्मा इस प्रकार की पत्रकारिता को बढ़ावा देंगे।
एक बच्ची जिसे रेल से गिरने के बाद अपने पिता का नाम तक याद नहीं है, समाचार के अनुसार उसे उसकी माँ उस बच्ची को रेल से फ़ेंक कर चली गई थी, क्या इस समाचार को परोसने का कोई और तरीका नहीं था, "मम्मी मम्मी मौत वाली मम्मी" अभी तक उसकी माता या पिता का कोई अता-पता नहीं है शायद मुद्दा कुछ और ही हो। लेकिन दूसरी और उससे एक पत्रकार अनगिनत सवाल पूछता जाता है, कहाँ है वह डॉक्टर तथा पुलिस प्रशासन जो एक बच्ची की मानसिक स्तिथी को न समझते हुए एक गरम समाचार ढूढने वाले के हाथों में उसे थमा देते है। शायद यह वही लोग है जिन्हें तनख्वाह अथवा कोटे की चिंता ज्यादा है, ऊपर से नीचे तक सभी का स्तर एक सा है।
एक वक्त में कहा जाता था, की मीडिया तथा समाचार पत्र एक सभ्य समाज का आएना होता है, लेकिन आज एक भद्दे मजाक से बढ़कर कुछ नहीं है। हमें अपने स्तर को बढ़ाना होगा अन्यथा हम अपने आने वाली पीढी को जवाब नहीं दे पायेंगे की हमने अपने समाज देश के लिए क्या किया। सफाई अपने घर से ही शुरू करनी होगी, और इस जलती हुई मशाल को भुझने न देने की प्रतिज्ञा लेनी होगी।
अभिनव सारस्वत
Saturday, September 12, 2009
life at own risk...
Friday, September 11, 2009
Thursday, September 10, 2009
Monday, September 7, 2009
what the hell ! - Bomb
Different views
I think (Delhi)- Its a definitely bomb. broooomm
Divyendu Pratap says (Noida)- Someone left his bag.
Jack gaur (Gurgaon) says - This is just a garbage bag.
Amit (Hyderabad) says - A poor man left his bag.
Alok Rawat (Okhla, Delhi) - Working style of MCD department.
yeeeaaah Alok Rawat is right.
Bomb-proof dustbins in Delhi for 2010 Games? - what do you people think? please do comments
Wednesday, September 2, 2009
rikshaw wala
अपना रिक्शा चमकाने के लिए, अपने शहर का फुटपाथ गन्दा कर लिया मिलिए इनसे यह भारतीय हैं और इनकी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है तथा संस्कार और इंसानियत से भरपूर है। जय हिंद जय भारत।
These rickshaw drivers are cleaning and coloring the rickshaws, but they didn't noticed what he did, MCD spend a lots of money for cleaning footpath, roads, kachras...........
Tuesday, September 1, 2009
Monday, August 31, 2009
the defenders
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